Wednesday, January 26, 2011

२६ जनवरी

२६ जनवरी यानी की गणतंत्र दिवस ! क्या वाकई हम जिसे गणतंत्र दिवस कहते है यह गणतंत्र दिवस है ?

आइये इसके बारे में कुछ जानते है !

सन्न १९३० में आज के ही दिन भारत के स्वतंत्रा सेनानी ने आज़ादी के दिवस के रूप में मनाया था !
सन्न १९४७ में भारत आज़ाद होने के बाद भारत में १९५० में २६ जनवरी को सविधान पारित हुआ था ! 
लेकिन जिस संविधान को हम अपने देश का संविधान कहते है क्या यह अपना है ?
जिस संविधान को हम अपना कहते है हक़ीकत में १९३५ में अंग्रेजो ने बनाया था ! और इसी के सहारे हमारे देश को १००० वर्ष तक गुलाम बनाने की तयारी की थी ! मगर यैसा  हुआ नहीं ! जब भारत आज़ाद हुआ तो बहुत से नेता ने कहा की भारत के लिए ने संविधान नए बनने चाहिए ! मगर कुछ लालची नेता को सत्ता पे बैठने की जल्दी थी ! इसलिए उन नेताओ ने कहा अब नई संविधान बनाने के लिए वक़्त नहीं है देश को जल्द से जल्द तरक्की करनी है और आनन फानन में अंग्रेजो के संविधान को ही भारत का संविधान बना दिया ! अंग्रेजो ने ३६००० क़ानून बनाये थे वही क़ानून आज तक हमरे देश में चल रहे है ! आप अगर १९३५ की संविधान की पुस्तक ले लीजिये और अभी के संविधान की पुस्तक ले लीजिये दोनों में कोई भी अंतर नहीं है ! कुछ अंतर है वो इसलिए क्यों की संविधान बनाते वक़्त कुछ संविधान कनाडा की किताब से तो कुछ दूसरी देशों की किताबो से लेकर एक किताब बना डाली !

 इस संविधान को अंग्रेजो यैसा बनाया है जिसके कारण हम इस देश के नागरिक है या नहीं ये भी अंग्रेजो ने तय किये है ! 

आप सोचिये कितनी घटिया क़ानून बनाई है अंग्रेजो ने :
अगर कोई इंसान किसी गाय को आप डंडे से मार दे तो उसे  जेल हो जायेगी मगर उसी गाय को कोई क़त्ल खाने में ले जा कर उसे काट दे तो कोई क़ानून नहीं उस के लिए !

एक अच्छा सा उदहारण देता हु में आप को कैसी क़ानून वेवस्था  है यहा   पर :
एक बार राजा विक्रमादित्य के दरबार में दो औरते एक नन्हे से बच्चे को ले कर आई और दोनों ने ये कहा की ये बच्चा  मेरा है ! राजा ने तुरंत कुछ सोचा और एक तलवार निकाली और एक औरत को तलवार दे कर कहा "इस बच्चे को काट कर दो टुकड़े कर  दो और एक एक टुकड़े दोनों ले लो ! उस औरत ने तलवार ले कर जैसे ही उस बच्चे की तरफ बढ़ी दूसरी औरत ने तुरंत चिल्ला कर बोली " बच्चे को मत काटो भले ही तुम इसे ले जाओ " राजा ने तुरंत समझ लिया की इस बच्चे की असल में माँ कौन है ! राजा तुरंत असली माँ को बच्चा दे कर झूटी माँ को करागार में ड़ाल दिया !
अगर ऐसे माजरे को ले कर कोई आज की  अदालत में  जाये तो २० वर्ष से भी अधिक लगेंगे फैसले आने में !
आप सोच लीजिये कैसी क़ानून है हमारे यहा और कैसी संविधान है ? 

इस संविधान में कुछ भी अपना नहीं हैं ! और एसी संविधान को कुछ लालची नेताओ के कारण हमे अपना कहना पड़ता है जो हमारे लिए शर्म की बात है ! 
 

ज़रा आप सोचिये क्या ऐसी संविधान को आप अपना कहना पसंद करेंगे ? 
क्या इस संविधान के लिए २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मनना चाहिए ?
इन नेताओ के कारण हमे पूरी आज़ादी  नहीं मिली बस आज़ादी के नाम पर हमे बहला कर खुद देश को लुट रहे है !

                                                                  जय हिन्द